सांगला (किन्नौर)
कुदरत ने चेतावनी दे दी थी। किन्नौर के बटसेरी के पास जिस जगह हादसा हुआ, वहां पर एक दिन पहले भी पहाड़ी से कार पर पत्थर गिरे थे। पर्यटक और चालक गाड़ी छोड़कर भाग गए थे। गाड़ी चकनाचूर हो गई थी। लेकिन सवाल यह है कि समय रहते न तो जिला प्रशासन जागा और न ही पुलिस। पत्थर हटाकर इस मार्ग को बहाल कर दिया गया। दूसरे ही दिन उसी जगह पर हादसा हो गया और नौ पर्यटकों की जान चली गई।
अब प्रशासन ने इस मार्ग पर आवाजाही पर रोक लगाई है। रोक लगने से छितकुल और रक्षम में दर्जनों पर्यटक फंस गए हैं। प्राकृतिक आपदाओं की दृष्टि से जनजातीय जिला किन्नौर काफी संवेदनशील माना जाता है। यहां हर वर्ष प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखाती है। बीते दिनों जहां खरोगला नाला में बाढ़ की स्थिति बनी हुई थी, वहीं सांगला वैली के बटसेरी में शनिवार सुबह से पहाड़ी दरकने का सिलसिला शुरू हो गया था।
रविवार दोपहर 1:09 बजे सांगला-छितकुल मार्ग पर बटसेरी में टेंपो ट्रैवलर वाहन पहाड़ी से दरकी चट्टानों की चपेट में आ गई और इस हादसे में नौ पर्यटकों की मौत हो गई। जैसे ही पहाड़ी से चट्टानें गिरने का सिलसिला शुरू हुआ तो स्थानीय लोग काफी घबरा गए। एक के बाद एक दर्जनों चट्टानें ऐसे खिसकी मानों सामने मौत आ रही हो। एक चट्टान की चपेट में आने से करोड़ों की लागत से बास्पा नदी पर बना बटसेरी पुल भी ध्वस्त होकर नदी में जा समाया। किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी ने कहा कि यदि जिला और पुलिस प्रशासन समय रहते उक्त मार्ग पर वाहनों की आवाजाही रोकते तो यह हादसा पेश न आता। जिले के कई अन्य स्थानों पर भी खतरे का अंदेशा बना हुआ है, जिसकी ओर प्रशासन को ध्यान देने की सख्त आवश्यकता है।
देवदूत बनकर पहुंचे ग्रामीण
रविवार दोपहर जब हादसा पेश आया तो यहां की बटसेरी, रक्षम, थेमगारंग और सांगला पंचायत के दर्जनों ग्रामीण और युवा घटनास्थल पर पहुंचे और रेस्क्यू ऑपरेशन में जुट गए। पुलिस, होमगार्ड, आपदा प्रबंधन और जेएसडब्ल्यू परियोजना के बचाव दल ने करीब चार घंटे तक रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया और हादसे के मृतकों और घायलों को घटनास्थल से बाहर निकालने में सफलता पाई। रेस्क्यू में जुटे ग्रामीणों ने चट्टानों के खतरे के बावजूद जान जोखिम में डालकर रेस्क्यू ऑपरेशन को सफल बनाया।